जयंती जैन के फंडे

सफलता का मंत्र : प्रबल इच्छा से बिलगेट्स बनते है

Posted जनवरी 27, 2010 by Jayanti Jain
प्रबल इच्छा क्या है ? प्रबल इच्छा का तात्पर्य उस दृढ़ निश्चय से है जो हमें किसी लक्ष्यप्राप्ति के लिए करता होता है। यह लक्ष्य शक्ति, ओहदा, धन या ऐसी ही अन्य कोई वस्तु हो सकती है। कुछ बड़ा पाने या करने के लिये महत्त्वाकांक्षा अनिवार्य है। जीवन में कुछ बड़ा करने का दृढ़ निश्चय।

एक स्कूली छात्र ने सॉफ्टवेयर की कम्पनी शुरू की – माइक्रो सॉफ्ट। इसी बीच इस छात्र ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया। जब वह अपने स्नातक पाठ्यक्रम के द्वितीय वर्ष में था, कम्पनी ने बहुत बड़ा लाभ कमाना शुरू किया । उसकी प्रबल इच्छा थी कि वह अरबपति बने। उसने अपनी पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि कम्पनी का काम बढ़ गया था। उसने अपने लक्ष्य को पहचाना और अपने जीवन के महत्त्वाकांक्षी कार्य को बीस वर्ष में पूरा कर लिया। उसकी प्रतिदिन आय वर्ष 1998 में आठ सौ करोड़ थी। आज वह इस धरती का सबसे धनी व्यक्ति है। कौन है वह महान् व्यक्ति ?-----वह बिलगेट्स है।

क्या प्रबल इच्छा, उत्साह एवं साहस के अभाव में तेनसिंह और हिलेरी एवरेस्ट पर्वत की चोटी पर चढ़ने में सफल हो पाते?

कैसे पाएँ अपनी प्रार्थना का प्रतिउत्तर ?
जनवरी 5, 2010 by Jayanti Jain

मैने शक्ति मांगी और प्रभु ने कठिनाईयाँ दी
ताकि मैं मजबुत बनूँ।
मैने बुद्धि मांगी और प्रभु ने मुझे समस्याएँ दी
ताकि मैं उपाय खोजूँ।
मैने समृद्धि माँगी और प्रभु ने मुझे ताकत व मस्तिष्क दिये
ताकि मैं प्राप्त कर सकूँ।
मैने साहस माँगा और प्रभु ने मुझे खतरे दिये
ताकि मैं जीत सकूँ।
मैने धैर्य मांगा और प्रभु ने मुझे ऐसी स्थिति दी
कि मुझे मजबूरन इन्तजारी करनी पडे।
मैने प्रेम मांगा और प्रभु ने मुझे दुखी साथी दिये
ताकि मैं सेवा कर सकूँ।
मैने तेरी कृपा चाहीं और प्रभु ने मुझे अवसर दिये।
जो मैने चाहा वह मुझे कभी न मिला
लेकिन जिसकी आवश्यकता थी वह सदा मिला।


इस तरह मेरी प्रार्थना सुनी गई।