कृष्णा कुमारी कमसिन की रचनाएं
मेरी सादादिली नहीं जातीमेरी सादादिली नहीं जाती
उस की दीवानगी नहीं जाती
वो समझ जाए तो ग़नीमत है
बात दिल की कही नहीं जाती
ख्व़ाहिशें मेरी कम नहीं होती
उन की दर्यादिली नहीं जाती
दोस्ती उम्र भर नहीं रहती
उम्र भर दुश्मनी नहीं जाती
मैं यूँ ख़ामोश रह गई उन से
बात कड़वी सुनी नहीं जाती
“कमसिन” उन के सितम नहीं रुकते
अपनी भी ख़ुदसरी नहीं जाती