A. P. J. Abdul Kalam
A. P. J. Abdul Kalam | |
11th President of India | |
In office 25 July 2002 – 24 July 2007 | |
Prime Minister | |
Vice President | |
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Born | 15 October 1931 Rameshwaram, Dhanuskodi, Republic of India (age 78) |
Profession | |
Religion |
Avul Pakir Jainulabdeen Abdul Kalam (Tamil: அவுல் பகீர் ஜைனுலாப்தீன் அப்துல் கலாம்) born 15 October 1931 in Rameshwaram, Madras Presidency, British India (now Tamil Nadu, India), usually referred to as Dr. A. P. J. Abdul Kalam , was the 11th President of India, serving from 2002 to 2007, he was elected during the tenure of the National Democratic Alliance (India) coalition government, under prime minister Atal Bihari Vajpayee. During his term as President, he was popularly known as the People's President.
Before his term as India's president, he worked as an aeronautical engineer with DRDO and ISRO. He is popularly known as the Missile Man of India for his work on development of ballistic missile and space rocket technology. In India he is highly respected as a scientist and as an engineer.
Kalam played a pivotal organisational, technical and political role in India's Pokhran-II nuclear test in 1998, the first since the original nuclear test by India in 1974. He is chancellor of Indian Institute of Space Science and Technology(Thiruvanthapuram), a professor at Anna University (Chennai) and adjunct/visiting faculty at many other academic and research institutions across India.
Political views
In his book India 2020 APJ Abdul Kalam strongly advocates an action plan to develop India into a knowledge superpower and into a developed nation by the year 2020. He regards his work on India's nuclear weapons program as a way to assert India's place as a future superpower.
It has been reported that there is considerable demand in South Korea for translated versions of books authored by him [8].
Kalam continues to take an active interest in other developments in the field of science and technology. He has proposed a research programme for developing bio-implants. He is a supporter of Open source software over proprietary solutions and believes that the use of open source software on a large scale will bring the benefits of information technology to more people.
As an aerospace engineer
After graduating in Physics from St. Joseph's College in Tiruchirapalli, Abdul Kalam graduated with a diploma in the mid-1950s from Madras Institute of Technology specializing in Aeronautical Engineering. As the Project Director, he was heavily involved in the development of India's first indigenous Satellite Launch Vehicle (SLV-III). As Chief Executive of Integrated Guided Missile Development Programme (IGMDP), he also played a major part in developing many missiles of India including Agni and Prithvi. Although the entire project has been criticised for being overrun and mismanaged[11]. He was the Chief Scientific Adviser to Prime Minister and Secretary, Department of Defence Research & Development from July 1992 to December 1999. Pokhran-II nuclear tests were conducted during this period, and have been associated with Kalam although he was not directly involved with the nuclear programme at the time.
Honours
On April 29, 2009, he became the first Asian to be bestowed the Hoover Medal, America's top engineering prize, for his outstanding contribution to public service. The citation said that he is being recognised for making state-of-the-art healthcare available to the common man at affordable prices, bringing quality medical care to rural areas by establishing a link between doctors and technocrats, using spin-offs of defence technology to create state-of-the-art medical equipment and launching tele-medicine projects connecting remote rural-based hospitals to the super-specialty hospital. A pre-eminent scientist, a gifted engineer, and a true visionary, he is also a humble humanitarian in every sense of the word, it added.
On 13 September 2009, he was a recipient of the International von Kármán Wings Award.
The Government of India has honoured him with the nation's highest civilian honours: the Padma Bhushan in 1981; Padma Vibhushan in 1990; and the Bharat Ratna in 1997 for his work with ISRO and DRDO and his role as a scientific advisor to the Indian government..
Kalam is the third President of India to have been honoured with a Bharat Ratna before being elected to the highest office, the other two being Sarvepalli Radhakrishnan and Zakir Hussain. He is also the first scientist and first bachelor to occupy Rashtrapati Bhavan
After his tenure as the president he is now a visiting guest professor at JSS university, Mysore. He has agreed to deliver a minimum of four lectures every year.
Books and documentaries
Kalam's writings
- Wings of Fire: An Autobiography of APJ Abdul Kalam by A.P.J Abdul Kalam, Arun Tiwari; by K. Bhushan, G. Katyal; A.P.j. Pub. Corp, 2002.
- Scientist to President by Abdul A.P.J. Kalam; Gyan Publishing House, 2003.
- Ignited Minds: Unleashing the Power Within India by A.P.J. Abdul Kalam; Penguin Books, 2003.
- India 2020: A Vision for the New Millennium by A.P.J. Abdul Kalam, Y.S. Rajan; Penguin Books India, 2003.
- India-my-dream by A.P.J. Abdul Kalam; Excel Books, 2004.
- Envisioning an Empowered Nation: Technology for Societal Transformation by A.P.J. Abdul Kalam; TATA McGraw-Hill Publishing Company Ltd, 2004.
- Guiding Souls: Dialogues on the Purpose of Life by A.P.J. Abdul Kalam, Arun K Tiwari; Ocean Books, 2005.
- Children Ask Kalam by A.P.J Abdul Kalam; Pearson Education, ISBN 81-7758-245-3
- Indomitable Spirit by A.P.J Abdul Kalam, 2006
- The Scientific Indian: A Twenty-first Century Guide to the World around Us by APJ Abdul Kalam and YS Rajan
हमारी डलहौज़ी यात्रा
मैं पिछले माह सपरिवार ग्रीष्मकालीन भ्रमण हेतु दिल्ली, डलहौज़ी, खज्जियार, साच पास, अमृतसर, मथुरा और वृन्दावन गया था। हमारा बेटा वैभव हमारे साथ नहीं जा सका, इस बात का बड़ा दुख था। वहां मेरी सॉफ्टवेयर पुत्री ने सख्त चेतावनी दे दी थी कि पूरे भ्रमण के दौरान मैं न तो अलसी की बात करूंगा और न ही अलसी के बारे में सोचूंगा वर्ना वो मेरे लेपटॉप में वायरस डाल देगी। अलसी से संबन्धित प्यारी प्यारी बातें, अच्छे अच्छे संस्मरण बार बार मेरे गले तक आ रहे थे तथा बाहर निकलने को उतावले हो रहे थे, बार बार उबकाई सी आती थी और हर बार मैं मिनरल वाटर का घूंट पी पीकर अलसी की बातों को दबा कर नीचे धकेलने की कोशिश कर रहा था। पर मुई जानलेवा अलसी पानी के संपर्क में आने से और ज्यादा फूलती ही जा रही थी तथा मेरा पेट फाड़ने की पूरी तैयारी में थी। तभी यकायक मेरा ध्यान एक जगह बड़े से होर्डिंग पर लगे लक्स साबुन के नये विज्ञापन की ओर गया, जिसमें यह बताया गया था कि लक्स साबुन द्वारा नहाने मात्र से आपकी त्वचा कली से भी कोमल हो जायेगी। वाह कितना आसान तरीका था !!! लग रहा था कि कुछ ही समय बाद हमारे देश की सारी लड़कियां और स्त्रियां केटरीना जैसी हो जायेगी।
मैंने सोचा विज्ञापनों का वास्तविक उद्देश्य किसी भी वस्तु की खूबियों और वास्तविकता को उपभोक्ता के सामने यथार्थ रूप में प्रस्तुत करना होता है। लेकिन आजकल लगभग सभी संस्थान अपने कर्तव्य और जिम्मेदारी को भूल गये हैं और उनका उद्देश्य सिर्फ अपनी वस्तु की बिक्री बढ़ाना ही रह गया है। इसके लिए वे विज्ञापनों में झूठ बोलते हैं, गलत जानकारियाँ देते हैं, उपभोक्ता को भ्रमित करते हैं (या सरल शब्दों में कहें तो शुद्ध रूप से बेवकूफ बनाते हैं) और महत्वपूर्ण तथा आवश्यक जानकारियां या तो छुपा ली जाती हैं या इतनी बारीक किसी कोने में लिखी जाती हैं जिन्हें सूक्ष्मदर्शी यंत्र के द्वारा ही पढ़ा जा सकता है या conditions apply लिख दिया जाता है ।
कुछ माह पूर्व एक बार टी.वी. में लुभावना विज्ञापन देखकर मेरी एक चिकित्सक मित्र ने स्लाइसर डाइसर को मंगवाने के लिए ऑर्डर दिया था, जिसकी कीमत 3200 रुपये के लगभग थी। वे बड़ी खुश थी और बेसब्री से स्लाइसर डाइसर की प्रतीक्षा कर रही थी। उन्हें लग रहा था कि स्लाइसर डाइसर आने के बाद फल और सब्ज़ियां काटना व खाना बनाना बहुत ही सरल, सुगम, सहज तथा मनोरंजक हो जायेगा। जीवन सफल और आनंदमय हो जायेगा जैसाकि टी.वी. पर विज्ञापन में रोज बताया जाता था।
हम सब लोग भी इन्तजार कर रहे थे कि कब स्लाइसर डाइसर आयेगा, कब हमको इसका लाईव डेमो देखने को मिलेगा, अच्छा लगा तो हम भी स्लाइसर डाइसर मंगवायेंगे और हम भी रोज चुटकियों में सारे फलों और सब्ज़ियों को काट डालेंगे और सचमुच खाना बनाना कितना आसान और मजेदार होगा। बस इस कल्पना मात्र से मन में खुशियों की हजारों फुलझड़ियां झड़ उठती थी। इस छोटी सी जिंदगी से हम कितना सारा समय भी बचा लेंगे और फिर रोज शाम को बिंदास होकर बहु-पटीय चलचित्रशालाओं में बीबी बच्चों के साथ सैर किया करेंगे, मूवीज़ देखा करेंगे।
आख़िरकार एक दिन स्लाइसर डाइसर का पार्सल लेकर कोरियर वालों का बंदा चिकित्सालय में आ ही गया। तब हम सभी चिकित्सक कॉफी की चुस्कियां ले रहे थे। तुरंत पार्सल खोला गया और अस्पताल की किचन से फल व सब्ज़ियां मंगवाई गई । लेकिन उससे न तो सब्ज़ियां स्लाइस हो पाई और न ही फलों के डाइस तैयार हो सके। देखकर भी लग रहा था कि यह मुश्किल से 150-200 रूपये तक का आईटम है। लगता था कि उसकी ब्लेड घटिया स्टील की थी और धार भी ठीक नहीं थी। उसमें प्लास्टिक भी घटिया काम में लिया गया था। सबके चेहरे से खुशी और मुस्कुराहट गायब हो चुकी थी, सब एसे गुमसुम थे जैसे दोबारा सुनामी आ गया हो। लम्बी ख़ामोशी के बाद, मैं अपने आपको रोक नहीं पाया और मेरे मुंह से निकल ही पड़ा, “इससे बढ़िया और जल्दी तो सब्ज़ियाँ पांच रूपये वाला चाकू ही काट देता है।” बदले में सबके सामने मुझे मेडम की डांट खानी पड़ी।
चलिए आप तो अब लक्स का वो विज्ञापन देखिये जिसमें मैंने थोड़ा सा बदलाव करके उसे एक यथार्थ विज्ञापन बनाने की कोशिश की है और जिसे मैंने साच पास (जो 2 वर्ष पहले ही डलहौज़ी के पास खोजी गई एक बर्फीली चोटी है तथा रोहतंग पास से भी सुंदर है) के मनभावन, मनोरम, रमणीक, अविस्मरणीय और बर्फीले नज़ारों पर चिपकाया है।
यदि आप केटरीना कैफ की कली से भी कोमल, कमसिन, कांतिमय व कुंदन सी काया की कामना करती हैं तो उसकी कुंजी है केवल और केवल अलसी, न कि कोई सौंदर्य साबुन ।
Dr. O.P.Verma
M.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
+ 919460816360
अलसी प्रोटीन, रेशों, लिगनेन, विटामिन, खनिज और आवश्यक ॐ-3 वसाअम्ल अल्फा-लिनोलेनिक एसिड का सर्वोत्तम स्रोत है। अल्फा-लिनोलेनिक एसिड स्नायु कोशिका में इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ाते हैं, स्टिरोइड हार्मोन का स्राव बढ़ाते हैं, स्वस्थ कोष्ठ भित्तियों का निर्माण करते हैं, हार्मोन्स के स्राव को नियंत्रित करते हैं, प्रक्षा प्रणाली नियंत्रित करते हैं, हार्मोन्स को अपने तक लक्ष्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं, बुनियादी चयापचय दर बढ़ाते हैं, कोशिकाओं तक ऑक्सीजन पहुंचाते हैं, रक्त में वसा को गतिशील रखते हैं, नाड़ी और स्वायत्त नाड़ी तंत्र को नियंत्रित करते हैं, नाड़ी-संदेश प्रसारण का नियंत्रण करते हैं और हृदय कोशिकाओं को सीधी ऊर्जा देते हैं। प्रोटीन से ही मांस-पेशियों का विकास होता है। बॉडी बिल्डिंग पत्रिका मसल मीडिया 2000 में प्रकाशित लेख बेस्ट आफ द बेस्ट में अलसी को बॉडी के लिए सुपर फूड माना गया है। मि. डकेन ने अपने आलेख में अलसी को नंबरवन बॉडी बिल्डिंग फूड की संज्ञा दी है। हॉलीवुड की विख्यात अभिनेत्री हिलेरी स्वांक ने मिलियन डॉलर बेबी फिल्म के लिए मांसल देह बनाने हेतु अ ल सी मां का ही सहारा लिया था, तभी ऑस्कर जीता।
उपरोक्त बातों का सीधा अर्थ है
शरीर की वसा कम होना,
स्नायु कोशिकाओं में थकान न होना,
ऊर्जा का सर्वोत्तम स्रोत,
आक्सीजन और अन्य पोषक तत्वों की उपयोगिता में वृद्धि,
स्वास्थ्य में वृद्धि
यानी
छरहरी बलिष्ठ मांसल देह
Dr. O.P.VermaM.B.B.S.,M.R.S.H.(London)
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